Legal Protection Insurance: अगर आप एक डॉक्टर, इंजीनियर, वकील या छोटे कारोबारी हैं, तो आपको लीगल इंश्योरेंस लेना चाहिए। यह आपको किसी भी कानूनी लड़ाई में होने वाले नुकसान से बचा सकता है। यह बीमा कवर करता है कोर्ट की पेशी के दौरान हुए नुकसान को। इसे ‘लायबिलिटी इंश्योरेंस’ भी कहा जाता है। ‘दक्ष’ नाम के एक एनजीओ ने अपने सर्वे में खोजा है कि एक पेशी में जाने पर औसतन 1746 रुपए का नुकसान होता है। यह रकम पेशी पर न जाने पर आप अपना काम करते हुए कमा सकते थे। दक्ष के ‘एक्सेस टू जस्टिस’ सर्वे में 24 राज्यों के 300 कोर्ट के 9 हजार लोगों को शामिल किया गया था।
लीगल इंश्योरेंस आपके इसी नुकसान की भरपाई करता है, लेकिन यह बीमा उन लोगों के लिए नहीं है जो आरोपी हों। इसका लाभ आप तभी उठा सकते हैं जब आप अपना बचाव करने के लिए कोर्ट की शरण में गए हों। भारत जैसे देश में समस्या यह है कि लीगल इंश्योरेंस की जानकारी बहुत कम लोगों को है। लायबिलिटी इंश्योरेंस एक्सपर्ट उमेश प्रतापा से हमने बात की और समझा कि लीगल इंश्योरेंस किसे और क्यों लेना चाहिए। इसके क्या फायदे हैं और यह क्यों जरूरी है।
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क्रिमिनल केस में नहीं मिलता लीगल कवरेज का लाभ
उमेश प्रतापा ने बताया कि लायबिलिटी इंश्योरेंस का लाभ सिविल मामलों तक ही सीमित होता है, जिससे क्रिमिनल मामलों का कवरेज नहीं मिलता। अगर ऐसा होता तो लोग अपराध करके इसका लाभ उठाने की कोशिश करते। भारत में यह सुविधा आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है, हालांकि कुछ पेशेवर लोग जैसे कि डॉक्टर, वकील और इंजीनियर इसका लाभ उठा सकते हैं।
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विदेशों में पर्सनल लीगल इंश्योरेंस भी करवा सकते हैं
- विभिन्न देशों में लोग जो कोई व्यवसाय नहीं चलाते, वे भी लीगल इंश्योरेंस करा सकते हैं।
- इसे ‘पर्सनल लीगल इंश्योरेंस’ कहा जाता है।
- यह इंश्योरेंस विभिन्न प्रकार के नुकसानों और विवादों को कवर करता है।
- इसमें चालान, टैक्स विवाद, दीवालिया होने या पैसे न चुकाने का कवरेज होता है।
- ग्राहकों से जुड़े विवाद, चोट या नुकसान से जुड़े दावे को भी शामिल किया जाता है।
- इसके साथ ही, वसीयत बनवाने और प्रॉपर्टी खरीदने के खर्च का भी कवरेज होता है।
- इस इंश्योरेंस की सुविधा के तहत, वकील की सहायता भी प्राप्त की जा सकती है।
- यहां, प्रीमियम की राशि 9 हजार रुपए से 35 हजार रुपए तक हो सकती है।
- विवाद की स्थिति में कस्टमर की सहायता के लिए इसे लेना समझदारी हो सकती है।
- इससे व्यक्ति अपने अधिकारों की सुरक्षा करा सकता है और संघर्ष को कम कर सकता है।
- ऐसे इंश्योरेंस से समाज में न्याय और सुरक्षा की भावना बढ़ती है।
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भारत में साधारण लोगों के लिए लीगल इंश्योरेंस क्यों नहीं?
- भारत में अधिकतर विवाद जमीन और जायदाद से संबंधित होते हैं।
- लैंड कंफ्लिक्ट वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, 77 लाख लोग जमीन के लिए लड़ रहे हैं।
- ये लोग 25 लाख हेक्टेयर जमीन के मामले में कोर्ट में जुड़े हैं।
- उन्हें इस विवाद से 15 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।
- लेकिन, जमीन विवाद में फंसे लोगों के लिए इंश्योरेंस का विकल्प क्यों नहीं है?
- प्रतापा के अनुसार, भारत में लोग ज्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस नहीं कराते।
- उन्हें इंश्योरेंस प्रीमियम की रकम ज्यादा लगती है।
- इसलिए, लोग लीगल इंश्योरेंस कैसे करवाएंगे, जो और भी महंगा होता है?
- भारत के सामान्य किसान परिवार की आम आय 77 हजार रुपए है।
- उनके लिए पर्सनल लीगल इंश्योरेंस लेना महंगा सौदा हो सकता है।
क्या पत्रकारों का Legal Protection Insurance होना चाहिए?
‘बिहाइंड बार्स: अरेस्ट एंड डिटेंशन ऑफ जर्नलिस्ट इन इंडिया 2010-20’ नामक एक अध्ययन के अनुसार, पिछले वर्षों में पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज होने और उनकी गिरफ्तारी में वृद्धि देखी गई है। 2010 से 2020 के बीच, 154 पत्रकारों को देश में गिरफ्तार किया गया। इनमें से 40% पत्रकार सिर्फ 2020 में ही गिरफ्तार हुए। क्या पत्रकारों के लिए भी लीगल इंश्योरेंस होना चाहिए? इस सवाल के जवाब में प्रतापा कहते हैं, ‘यह एक उत्तम विचार है। इंश्योरेंस कंपनियां ऐसा करें तो यह अच्छा होगा, लेकिन अब भी अधिकांश पत्रकार मीडिया कंपनियों में काम करते हैं और ये कंपनियां ‘मीडिया लायबिलिटी इंश्योरेंस’ के तहत अपना इंश्योरेंस करा सकती हैं।’